एक ऐतिहासिक फैसला (500-1000 रुपये बंद), जानिये किसे होगा फ़ायदा और किसे नुकसान

लेखिका- जयति जैन, रानीपुर झांसी

मंगलवार की रात देश के लोगों के लिए काफ़ी चौंकाने वाली रही, क्योंकि मोदी सरकार ने 500 और 1000 रुपयों के नोट पर रोक लगा दी. पर हर नीति, निर्णय के पीछे किसी न किसी का दिमाग तो होता है, पर इसके पीछे किसका दिमाग होगा? इसके पीछे जिसका दिमाग है उस कंपनी का नाम है 'अर्थक्रांति संस्थान'. अर्थक्रांति पुणे की इकोनॉमिक एडवाइज़री संस्था है, जिसमें चार्टेड अकाउंटेंट्स और इंजीनियर शामिल हैं. 

एक ऐतिहासिक फैसला- ना खांउगा ना खाने दुंगा

अर्थक्रांति प्रपोज़ल को संस्थान ने पेटेंट कराया है. बताया जा रहा है कि इस प्रपोजल के लिए ये संस्थान राहुल गांधी, नरेंद्र मोदी और भी कई नेताओं से मिल चुका था.संस्थान का ऐसा दावा है कि उनके एक मेम्बर अनिल बोकिल ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ कुछ महीने पहले एक मीटिंग की थी. हालांकि शुरू में बोकिल को बस 9 मिनट का समय दिया गया था, पर जब बोकिल ने बड़े नोट बंद करने का प्रपोज़ल दिया तो मोदी को इसमें इंटरेस्ट आया और 9 मिनट की तय मीटिंग 2 घंटे तक चली.

ऐसा भी कहा जा रहा है कि बोकिल और उनकी टीम डेढ़ साल पहले राहुल गांधी से भी मिलने गयी थी, पर उन्होंने बोकिल को मात्र 10 सेकंड का समय दिया. साथ ही ब्लैक कैट कमांडो ने उन्हें अंदर सीडी ले जाने की भी इजाज़त नहीं दी थी. राहुल ने कहा था कि आप प्लीज़ डॉ. गोपाल मोहन से मिल लीजिए. गोपाल मोहन राजीव गांधी फाउंडेशन के तत्कालीन डायरेक्टर थे.

क्या थे प्रपोज़ल के सुझाव?

इम्पोर्ट ड्यूटी छोड़ कर 56 तरह के टैक्स वापस लिए जाएं.
बड़ी करेंसी जैसे 1000, 500 और 100 रुपये के नोट वापस लिए जाएं.
सभी बड़े भुगतान और पेमेंट बैंक के ज़रिये चेक, डीडी और ऑनलाइन किया जाए.
कैश ट्रांजेक्शन की लिमिट फिक्स की जाए और इन पर कोई टैक्स ना लगाया जाए.

प्रपोज़ल की खास बातें:-

इंजीनियर्स और चार्टेड अकाउंटेंट वाली संस्था अर्थक्रांति के अनुसार वर्तमान में देश में हर रोज़ 2.7 लाख करोड़ रुपयों का बैंकिंग ट्रांजेक्शन होता है. इस हिसाब से एक साल में लगभग 800 लाख करोड़ रुपये हुए. समस्या ये है कि सिर्फ़ 20 प्रतिशत ट्रांजेक्शन ही बैंक के ज़रिये होता है, बाकि 80 फीसदी कैश के ज़रिये होता है, जिसको ट्रेस कर पाना मुमकिन नहीं है. देश की जो 78 फीसदी आबादी है वो हर रोज़ सिर्फ़ 20 रुपये ही खर्च करती है, तो उन्हें फिर हज़ार के नोट की क्या ज़रूरत.

क्या होगा 500 और 1000 के नोट को वापस लेने से?
कैश ट्रांजेक्शन से होने वाला भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा. लोगों की ब्लैकमनी या तो व्हाइट हो जाएगी या बेकार. लोगों के पास इकट्ठा नोट कागज़ के टुकड़े रह जाएंगे.
मार्केट में ब्लैकमनी खत्म होने से प्रॉपर्टी इत्यादि की कीमतों पर लगाम लग जाएगी.
सुपारी लेकर किये जाने वाले क्राइम अपने आप बंद हो जाएंगे और कैश ट्रांजेक्शन के ज़रिये आतंकवाद की फंडिंग पर भी रोक लगेगी.
जाली नोटों का चलन भी ऐसे में बंद हो जाएगा और महंगी प्रॉपर्टी खरीदने के बाद रजिस्ट्री में हेर-फेर नहीं हो पायेगा.

और 56 तरह के टैक्सों को क्यों खत्म करना ज़रूरी है?

इस पहल से नौकरीपेशा लोगों के हाथ में ज़्यादा पैसा होगा. साथ ही हर परिवार की खरीददारी की क्षमता बढ़ेगी.
पेट्रोल, डीज़ल और एफ़एमसिजी जैसी कमोडिटी 32 से 52 फीसदी तक सस्ती हो जाएंगी.
टैक्स भरने का झंझट ही नहीं होगा, तो ब्लैकमनी कोई जमा ही नहीं करना चाहेगा.
बिज़नेस के क्षेत्र में वृद्धि होगी और आम लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे.
इस प्रपोज़ल को लागू करने से क्या-क्या फ़ायदे होंगे?

जैसा ये संस्थान बता रहा है, अगर उसकी मानें तो ये प्रपोज़ल लागू हो गया तो सभी चीज़ों की कीमतें घटेंगी और नौकरीपेशा लोगों ज़्यादा पैसा पाएंगे. इस वजह से मांग और प्रोडक्शन बढ़ेगा, जो रोज़गार के अवसर भी बढ़ाएगा. बैंक सस्ते लोन उपलब्ध कराएंगे और इंटरेस्ट रेट घटेगा. प्रॉपर्टी की कीमतें कम हो जाएंगी और राजनीति में ब्लैकमनी का इस्तेमाल बंद हो जाएगा.

इस संस्थान ने ये दावा किया है कि ये प्रपोज़ल ब्लैकमनी, महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, रिश्वतखोरी और आतंकियों की फंडिंग रोकने में पूरी तरह से कारगर होगी और 24 घंटों में हुआ भी ऐसा ही, कि लोगों के दिल और दिमाग पर दो नम्बरी माल को ठिकाने लगाने की योजना बनने लगी !
गरीबो की खुशी का ठिकाना नहीं रहा, तभी अमीरो की बेचेनी ने जश्न दुगना कर दिया ! इसका एक उदाहरण 9 नबम्बर की घटना सामने आयी गाजियाबाद की-

देश भर में 500 और 1000 के नोट बंद होने के बाद जहां एक तरफ पूरे देश में अफरा-तफरी मची हुई है वहीं कई तरह की अफवाहें भी फैलाई जा रही हैं। गाजियाबाद के लिंक रोड स्थित एक कब्रिस्तान में लावारिस कार्टन मिलने पर लोगों ने उनमें नोट रखे होने की अफवाह फैला दी। जिसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने कार्टन में से नोट नहीं बल्कि धागे की रीलें पाईं।
गाजियाबाद के इस कब्रिस्तान में करीब 100 कार्टन कोई लावारिस छोड़कर फरार हो गया, बड़ी संख्या में कार्टन मिलने से हड़कंप मच गया। लोगों ने अफवाह फैला दी कि कार्टन में नोट हैं और इसकी सूचना पुलिस को दी गई।
बाद में जब पुलिस ने मौके पर पहुंच कर छानबीन करवाई तो कुछ और ही सामने आया।
पुलिस ने कार्टन कब्जे में लेकर एक जगह रखवाए और एक-एक करके खुलवाए तो उनमें सिलाई के लिए इस्तेमाल होने वाले धागे की रीलें मिलीं।
तो वहीं दूसरी तरफ़, गाजियाबाद की ही घटना आयी दिनांक 10 नबम्बर को जब कूडे के डेर में कोई 500 - 1000 से भरे नोटो के 6-7 बोरे छोड गया !
वहीं, भोपाल में 10 नबम्बर को रेलवे स्टेशन पर एक कार्टन भर के 500 - 1000 के नोटो से भरा कार्टन छोड़ गया ! लेकिन किसी ने उसे नहीं उठाया, स्वीपर भी चिल्लाता रहा कि किसके हैं ? लेकिन कोई नहीं बोला !
इसे कहते हैं मोदी पावर... सारी बेईमानी की कमाई बाहर निकल निकल के आ रही है ! एक अकेले आदमी  ने पूरे देश में रेड करा दी !
रामराज्य जैसा अनुभव है। जेल खोल दो कोई भागने को तैयार नहीं । तिजोरी खोल दो कोई लूटने को तैयार नहीं...
इस समय सोशल मीडिया पर खूब चर्चाये हो रही हैं मोदीराज को लेकर, वही भ्रस्टाचारियों और घरेलू महिलाओ पर जमकर ताने कसे जा रहे हैं !
जैसे-
जिन महिलाओं ने बचा बचा कर या पतियों से छुपा कर पैसे रखें हैं वे भी फंस गईं भारत की घरेलु महिलाएं रातों रात गरीब हो गईं !
और
मोदी से समस्त महिलाएं नाराज अपने पतियों के सामने उजागर करना पड़ेगा काला धन !"
इस तरह के सैकडो मैसेज एक ही रात को बन गये !
मोदी सरकार के पांच सौ और हजार के नोट चलन से बंद करते ही अब ठाकुरजी को भी ये नोट स्वीकार्य नहीं है। इसके लिए गोविंददेवजी सहित छोटी काशी के कई बड़े मंदिर परिसरों में जगह-जगह इस तरह के नोटिस बोर्ड लगा दिए गए हैं। इससे दानदाता भी असमंजस की स्थिति में है। प्रवक्ता मानस गोस्वामी, श्रीगोविंददेवजी मंदिर= ''भेंट पात्र में भेंट चढ़ाना या ना चढ़ाना भक्तों की श्रद्धा पर निर्भर करता है। मंदिर प्रशासन केवल नोटों के चलन के बाहर होने से सरकार के निर्देशों का पालन करने के लिए सुविधा के लिए सूचना लगाई है।''
मोदीजी ने पहले ही तैयारी कर रखी थी, हर तरह की मुसीबतों से जुझने और हर सवालों के जबाब देने के लिये तभी
500 औऱ 1000 के नोट पर बैन के बाद हाईवे टोल पर हो रही थी परेशानी की वजह से सरकार ने 11 नवंबर तक सभी हाईवे टोल को फ्री कर दिया था। सरकार ने ये फैसला 500 औऱ 1000 के नोट बंद होने से हो रही परेशानी के बाद लिया गया।
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने ऐलान किया था कि 11 नवंबर की रात 12 बजे तक किसी से भी टोल नहीं लिया जाएगा, लेकिन 11 नवंबर के बाद सभी को ध्यान रखना होगा कि टोल से गुजरते हुए आप खुल्ले पैसे साथ रखें।
इससे पहले सरकार ने मेट्रो स्टेशनों पर भी 500 और 1000 रुपए के नोट स्वीकार करने का फैसला लिया है। इसके अलाव सरकारी अस्पताल, सरकारी अस्पतालों की फार्मेसी, रेल टिकट काउंटर, सार्वजनिक परिवहन के टिकट काउंटर, हवाई अड्डों पर एयरलाइंस के टिकट काउंटर, मिल्क बूथ, अंत्येष्टि स्थलों, पेट्रोल पंप और गैस स्टेशन शामिल हैं।
नोट बन्द कर दिए जाने के इस फैसले से एक तरफ सरकार के रेवेन्यू में इज़ाफ़ा होगा, वहीं ब्लैक मनी को वाइट इकॉनमी के दायरे में लाने में भी मदद मिलेगी. भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में भी इसे अहम माना जा रहा है.
एनआईए के एक पूर्व अधिकारी ने खुलासा करते हुए बताया कि भारत में सबसे ज्यादा नकली नोट पाकिस्तान की तरफ से भेजे जाते थे. जिनका इस्तेमाल आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए किया जाता था. यही नहीं अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिमभी हवाला और नकली नोटों के जरिये ही भारत की अर्थव्यवस्था पर आघात कर रहा था. लेकिन सरकार के इस फैसले से इस कारोबार पर भी लगाम लगेगी.

जानकारी के मुताबिक रियल स्टेट में काला धन ही लगता था. इस काम को पाकिस्तान में बैठा माफिया डॉन दाऊद अपने गुर्गों के जरिए अंजाम देता था. 500 और एक हजार के नोट बंद करने का फैसला इसी कारोबार के खिलाफ सबसे बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक माना जा रहा है.
500 और एक हजार के नोट बंद होने से भारत में आर्थिक आतंकवाद का खेल बंद हो जाएगा. इस खेल को पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई भारत में खेल रही थी. NIA ने नकली नोटों पर एक विशेष रिपोर्ट तैयार की थी. जिससे खुलासा हुआ था कि भारत की अर्थव्यवस्था में 400 करोड़ रुपये के नकली नोट इस समय लेनदेन में मौजूद हैं.
वैसे तो पाकिस्तान की तरफ से नोटों पर लगाम लगाने के लिए भारत सरकार ने कई जांच एजेंसिया को काम पर लगा रखा था. लेकिन पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा था. पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी ISI भारत के ख़िलाफ आर्थिक आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए मोस्टवांटेड डॉन दाऊद इब्राहिम का इस्तेमाल भी कर रही थी.
नकली नोटों पर तैयार की गई एनआईए की रिपोर्ट के मुताबिक़ हर 10 लाख संचालित नोटों में 250 नकली नोट हैं. आमतौर पर इस समय 400 करोड़ रुपये के नकली नोट देश की अर्थव्यवस्था में बेखौफ चल रहे हैं. NIA के इस अध्यन में पता चला है कि 70 करोड़ रुपये के नकली नोट हर साल भारतीय अर्थव्यवस्था में संचालित हो रहे हैं.
एनआईए, आईबी, रॉ, राजस्व खुफिया और सीबीआई निदेशालय की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और पाक सेना को भारत में जाली नोटों के चलन से लगभग 500 करोड़ रुपये से ज्यादा का सालाना मुनाफा होता है. आईएसआई को पाकिस्तान में उत्पादित प्रत्येक नकली भारतीय नोट पर 30-40% का मुनाफा मिलता है.
बांग्लादेश बार्डर पर महज 18 हजार रुपये में एक लाख के नकली भारतीय नोट मिलते हैं. पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के बांग्लादेश में बैठे एजेंट्स ने भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने के लिए नकली नोटों का यही रेट फिक्स कर रखा है.
सूत्रों के मुताबिक भारत-बांग्लादेश बार्डर के बाद बिहार में आते ही एक लाख के नकली नोट का रेट 40 हजार रुपये या उससे भी अधिक हो जाता है. दिल्ली और पंजाब की ओर पहुंचने पर एक लाख के नकली नोट की कीमत 50 से 70 रुपये तक हो जाती है.
एनआईए के मुताबिक पाकिस्तान में छपने वाले जाली नोट बंगलादेश और नेपाल के रास्ते भारत पहुंचते हैं. पिछले एक साल में 30 करोड़ जाली नोट जब्त किए गए हैं. बाकी के 40 करोड़ भारतीय बाजार में पहुंचने में सफल हुए हैं. एनआईए ने हाल ही में खुलासा किया है कि पाकिस्तान भारत की अर्थव्यस्था को बर्बाद करने के लिए यह काम कर रहा है.
पिछले साल नकली नोटों के एक कंसाइनमेंट के पकडे जाने से ये खुलासा हुआ था. जांच एजेंसियों ने पिछले तीन महीने में एक दो नहीं पूरे 65 कंसाइनमेंट भारत में पकड़े हैं. जिनके तार इंटरनेशनल रैकेट से जुड़े थे. जिसमें चीन से भी भारत में नकली नोट पहुंचे थे.
500 और 1000 के नोट बंद होने के बाद भारत ने पाकिस्तान के नकली नोटों का कारोबार बंद तो कर दिया है. लेकिन आने वाले समय में जांच एजेंसियों के लिए ये बड़ी चुनौती होगी कि नए 500 और 2000 के नोटों को पाकिस्तान न बना सके और न ही इसको भारत में भेज सके.आइए जानते हैं कि किसका होगा फायदा और कौन रहेगा घाटे में.
इनका होगा फायदा

1. जो घर लेना चाहते हैं

प्रॉपर्टी की कीमतें कम होंगी और लोगों, ख़ासकर गरीबों के लिए मकान का सपना आसान हो सकेगा.

2. उच्च शिक्षा लेने वाले छात्र

उच्च शिक्षा के मामले में भी समानता की स्थिति आ सकेगी, क्योंकि अवैध कैश लेन-देन संभव नहीं होगा. इससे महंगाई पर भी लगाम लग सकेगी.

3. ई वॉलेट

ई-वॉलेट्स जैसे पेटीएम, फ्रीचार्ज को फायदा पहुंचने वाला है. खुले पैसों की दिक्कतों से बचने के लिए लोग अपने ई-अकाउंट से ही लेन-देन करना पसंद करेंगे.

4. प्राइवेट टैक्सी सर्विस को फायदा

प्राइवेट टैक्सी सर्विसिस जैसे, ओला, उबर को फायदा होने वाला है, क्योंकि इन कर्मिशियल टैक्सी सर्विसिस की पेमेंट ई-वॉयलेट के जरिए आसानी से हो जाता है.

5. अर्थव्यवस्था को मिलेगी उछाल

रुपया मजबूत होगा और मुद्रा स्फीति नीचे जाएगी. इससे गरीब और मिडिल क्लास लोगों को फायदा होगा.

6. आम लोगों को दूरगामी फ़ायदा

कुछ दिनों तक आम आदमी को समस्याएं हो सकती हैं, लेकिन उनकी पहुंच स्वास्थ्य, उच्च शिक्षा और रियल एस्टेट में बढ़ेगी.

इनको होगा नुकसान

1. रियल एस्टेट

भ्रष्टाचार में लिप्त लोग अपनी अघोषित आय को रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश करके खुद को साफ-सुथरा साबित करते हैं. अब ऐसे लोग नकद भुगतान नहीं कर सकेंगे.

2. हायर एजुकेशन

इस सेक्टर में भ्रष्टाचारी लोग पूंजी लगाते हैं. उन्हें नुकसान हो सकता है, क्योंकि कैश के लेन-देन का मामला बिगड़ गया है.

3. आतंकवादी व अलगाववादी

आतंकियों को मिलने वाले गैर-कानूनी फंड को बड़ा झटका लगेगा. आतंकियों से निपटने के लिए फायदेमंद साबित होगा.

4. नक्सली

नक्सलवाद को बढ़ावा देने वाले लोगों के लिए अब ऐसा करना मुमकिन नहीं होगा. फंडिंग न मिलने से उनकी ताक़त कम होगी.

5. कालाबाज़ारी

नकली नोटों की कालाबाज़ारी करने वालों के लिए ये फ़ैसला बहुत ख़तरनाक होगा. अब कालाबाज़ारी आसान नहीं.

6. नोट से नहीं मिलेंगे वोट

यूपी और पंजाब में चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में गैर-कानूनी रूप से पैसे रखकर लोगों में बांटने वालों को झटका लग गया है.

7. ब्लैक मनी होल्डर्स को समस्या
इस फैसले से काला धन रखने वालों को बड़ा झटका लगा है.

8. कैश ऑन डिलीवरी-
जो लोग ऑनलाइन सामान मंगा रहे हैं, उन्हें इसके लिए ऑनलाइन ही पेमेंन्ट करनी होगी, क्योंकि कैश ऑन डिलीवरी की सुविधा का लाभ नहीं उठा सकेंगे.

9. कैश वाली सर्विसेज़ को नुकसान
ऐसी सेवाएं, जो कैश देकर ली जाती हैं, उन पर असर पड़ेगा. सब्जी और डेली यूज़ के सामान की दुकानों पर असर पड़ेगा.

10. सोने के दाम बढ़ जाएंगे
जिन लोगों के पास पैसा है, वो इसे सोने में तब्दील करेंगे. सोने की कीमतें और बढ़ेंगी. आम आदमी को ये महंगा पड़ेगा.

11. बैंक कर्मचारियों पर बढ़ेगा बोझ
बैंक कर्मचारियों पर अचानक आए इतने बढ़े फैसले से करेंसी चेंज करने का भार बढ़ेगा.

12. शादी वाले घरों में दिक़्क़त
अभी त्योहारों और शादियों का टाइम है, ऐसे में लोगों को शॉपिंग में दिक्कत हो सकती है.
मोदी सरकार का ये फ़ैसला आम लोगों के लिए भले थोड़ी मुसीबत पैदा करे, लेकिन कुछ दिनों में उनकी मुसीबतें ख़त्म हो जाएंगी. पर इससे देश को दूरगामी फायदा होगा.

लेखिका- जयति जैन, रानीपुर झांसी

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