मां हर दिन स्पेशल होती है

मां प्यारी मां... मम्मा
लेखिका- जयति जैन, रानीपुर

एक ऐसा शब्द जिसको हम हर दुख-सुख में बोलते हैं, कुछ भी घटित हो जीवन में, दिन में कम-से-कम 10 बार इस शब्द को उस इंसान के लिये बोलते हैं, जो इसकी हकदार है !
मां बोलकर ही दिल खुश हो जाता है, तो सोचो जब हम पुकारें और वो सामने ही हो, तो दिल को सुकून मिलता है !
हमारे जन्म पर, जो जीवन में एक बार ही हस्ती है जब हम रोते हैं तो वो होती है- मां
हम जब थककर घर लौटते हैं या कहीं सफ़र से कई दिनों बाद घर वापिस आते हैं तो सबसे पहले पुकारते हैं- मां
पिता की जीवन में बहुत अहमियत होती है लेकिन थककर जब चूर होते हैं तो दर्द में मुंह से जो शब्द निकले वो है - मां
हम जिसके बिना रह नहीं सकते जो हमारे लिये अपनी हर खुशी को लुटा दे वो है - मां
अगर खाने में कोई चीज हमें पसंद हो और वो सिर्फ एक ही पीस हो, तब मुझे नहीं खाना, मुझे पसंद नहीं कहकर ना खाये ऐसी होती हैं - मां

मातृ-दिवस कुछ बरस पहले तक भारतीयों के लिए विशेष महत्व नहीं रखता था!
हमारे माता- पिता तो हमारे साथ ही रहा करते थे लेकिन नई सदी में सब कुछ जैसे.परिवर्तित होता जा रहा है - हमारी
सभ्यता, संस्कृति, मर्यादाएं और परम्पराएं भी अछूती न रह सकी और भारतीय संस्कृति में प्रवेश हुआ पश्चिमी शैली का।
हमारे पूर्वजों ने 'मदर्स डे' व 'फादर्स डे' का कोई प्रावधान शायद इसलिए नहीं रखा कि माता-पिता के बिना ऐसा कोई दिन आएगा इसकी कल्पना ही नहीं कर पाए होंगे?
वर्तमान में भारत पश्चिम का अंधानुकरण इस भांति कर रहा है कि हर चीज जो पश्चिम में होती है वह भारत में भी होती है बिना उनके आधार, कारण और वैज्ञानिक-पक्ष को समझे।
मां तो हर दिन स्पेशल होती है फ़िर भी आज मदर्सडे है तो सभी माताओं को दिल से सलाम !!!



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