मैरीटल रेप

बे-झिझक लेखन ही मेरी पहचान बने, यही अच्छा है ताकि में नारी से जुडे नि:शब्द दर्दों की कहानी बयान कर सकू !
इसी कडी में आज का लेख है-
 " मैरीटल रेप " यानी वैवाहिक बलात्कार...
.लेखिका- जयति जैन, रानीपुर झांसी उ. प्र.
शादी के बाद हर पुरुष को अधिकार मिल जाता है कि वह पति बनकर एक औरत जो दुनिया की नजरो में अब उसकी पत्नी है... उसके साथ जबरन संबंध बना सके ! आखिर क्युं ?
वो महिला जो पत्नी तो बन जाती है, तब औरत कहलाने लगती है, जब आदमी उसके साथ संबंध बना ले, लेकिन उसे अधिकार, प्रेम और स्वयं के निर्णय लेने की इजाज़त तक नहीं मिलती !
क्युं?
अगर किसी औरत का मन नहीं है, उसे कोई परेशानी है, वो संबंध बनाने के इक्छुक नहीं है,
तब भी वह मना नहीं कर सकती, नियम जो बना दिये हैं, कि एक पत्नी को अपनी पति की हर खुशी का खयाल रखना जरुरी है, फ़िर चाहे उसका मन हो या नहीं !
अगर वो मना भी करती है, तो उसके साथ जबरजस्ती की जाती है, जिसे वो किसी से नहीं क्ह पाती,
क्या बोलेगी वो कि
आज मेरे पति ने मेरे साथ बलात्कार किया है😭
कोई उसकी बात को सुन्ना भी नहीं चाहेगा, कि पति के साथ सम्बन्धों को बलात्कार कह रही है! क्युकि उसे कुवारावस्था से यही सिखाया जाता है कि पति जो कहे, करे वो सब सही है, एक औरत का कर्तव्य है उसे मानना, चाहे उसे पसंद हो या ना हो !
क्युं ? क्या एक औरत की अपनी इच्छाये नहीं हो सकती कि वो जिस चीज के इक्छुक नही है, उसे अधिकार सहित मना कर सके !
आज इस इंटरनेट को जरिया बनाकर ऐसी हज़ारों महिलायें हैं जिन्होनें अपनी पीडा को साझां किया है ! क्युं? क्युकिं कोई उनकी बात को सुनना नहीं चाहता, वो चाहकर भी अपने दर्द को अपनों में नहीं बांट सकती हैं !

वैसे इसके लिए जिम्मेदार अकेले उस एक पुरुष को नहीं ठहराया जा सकता है बल्कि इसका जिम्मेदार हमारा वह समाज है, जहाँ शारीरिक सम्बन्धों को पुरुषों की मर्दानगी से जोड़कर देखा जाता है।
इस कारण हमारे समाज में हर दूसरे घर में मिल जाएँगी, जहाँ औरतें अपने पति द्वारा ही बलात्कार की शिकार हो रही हैं।
जबरन सम्बन्ध बनाने का खामियाज़ा कई बार खुद पुरुषों को भी सहना पड़ता है। पुरुषों के जबरदस्ती करने पर कई बार औरतें सम्बन्ध बनाने के नाम से ही नफरत करने लगती है। वे घर के कामों में खुद को इतना व्यस्त कर लेती हैं कि पति के तरफ कभी ध्यान नहीं जाता।
इसलिए इस प्यार को बरक़रार रखने के लिए यौन सम्बन्ध को हिंसा नहीं बल्कि प्यार का रूप देना जरुरी है।
लेखिका- जयति जैन,
रानीपुर, झांसी उ.प्र.

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