कोई सिख कोई जाट मराठा, कोई गुरखा कोई मद्रासी सरहद पर मरनेवाला, हर वीर था भारतवासी !

कारगिल युध्द मे शहीद हुए हमारे जवान को सत् सत नमन
जयति जैन, रानीपुर झांसी
:-)
देश आज करगिल युद्ध में अपने प्राणों की आहुति देने वाले देश के वीर सपूतों को श्रद्धांजली दे रहा है। 1999 में आज ही के दिन भारतीय जवानों ने पाकिस्तान से कुछ गीदड़ छिपकर हमारे घरों में घुस आए थे, तो हमारे शेरों ने उन्हें दूर तलक खदेड़ा था.
आप अपने घरों में सुरक्षित हैं क्योंकि
भारतीय सेना आपकी सुरक्षा में तैनात हैं !!!
कारगिल विजय दिवस पर भारत माता के
वीर सपूतों को शत्-शत् नमन.
शहीदों को नमन
||जय जवान ।|| जय हिन्द||जय भारत||वंदे मातरम ||


कोई सिख कोई जाट मराठा, कोई गुरखा कोई मद्रासी सरहद पर मरनेवाला, हर वीर था भारतवासी
जब घायल हुआ हिमालय खतरे में थी आजादी
तब हमारे वीर जवानों ने प्राणों की बाजी लगाई
याद उन्हें भी कर लो जो लौट के घर न आये
वो जांबाज, जो घर तो लौटे लेकिन तिरंगे में लिपटकर !
कारगिल विजय दिवस के अवसर पर सभी शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि। भारत माता की जय।

6 गोली लगने के बाद भी पाक आर्मी पर भारी पड़ा ये सैनिक, अकेले ही फहरा दिया तिरंगा सिर्फ 19 साल की उम्र में मिला परमवीर चक्र
कहानी भारतीय सेना के एक ऐसे वीर योद्धा की है जिसने अकेले ही पकिस्तानी आर्मी की एक पूरी बटालियन को झुकने पर मजबूर कर दिया और जिसकी वीरता के लिए उसे जीवित रहते हुए भारत के सबसे बड़े पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। हम बात कर रहे हैं टाइगर हिल टॉप विजेता 18 ग्रिनेडियर के वीर जवान योगेन्द्र सिंह यादव की। आपको बता दें कि कारगिल वॉर विश्व के अब तक के सबसे कठिन युद्धों में से एक था। इस युद्ध में हजारों फीट ऊंची पहाडिय़ों पर चढ़ कर दुश्मन को मारना था और इस पर भारतीय सेना ने जांबाजी का परिचय दिया था। ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव ने 6 गोलियां लगने के बाद भी दुश्मन के चार सिपाहियों को मारा था। योगेंद्र की इस बहादुरी के लिए उन्हें 15 अगस्त 1999 को सिर्फ 19 साल की उम्र में परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। वह भारतीय सेना में आज भी देश की सेवा कर रहे हैं। योगेंद्र सिंह यादव का जन्म उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के औरंगाबाद अहीर गांव में 1980 में हुआ था।
Respect and Salute 👍

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