गलतफेह्मियों के सिलसिले
लेखिका- जयति जैन, रानीपुर झान्सी
गलतफेह्मियों के सिलसिले इतने दिलचिप्स है कि
हर ईट सोचती है दिवार बस मुझसे टिकी है !'
जिसने भी लिखा बहुत ही खूब लिखा है !
ये शायरी जिन्द्गी की सच्चाइ को बयां करती है, कोई भी रिश्ता लेलो- जहा इंसान के अंदर आ जाये कि ये रिश्ता बस मुझसे चल रहा है! वो रिश्ता फ़िर एक तरफा होकर रह जाता है, जहा आपके दिल में है कि ये रिश्ता में सम्भाल रहा हुं, सामने वाले के पास तो समय ही नहीं है!
और
वो दूसरा सामने वाला इसमे है कि फ्री होकर बात करेगे ! ये जानते हुए कि कुछ रिश्तों को रोज़ समय देना जरुरी है !
हमारी जिन्द्गी में एक ऐसा रिश्ता होता ही है, जिसके बिना हम जीना नहीं चाहते, जो हमारे दिल के बेहद करीब होता है ! फिर भी हमारी वय्स्तताये उसे हमसे दूर करने लगती हैं !
जहा आपने ये सोचा कि जब टाइम मिलेगा तब बात कर लेगे, रोज़ ही तो बात करते है एक दिन नहीं कि तो क्या हुआ ????
बस एक यही वाक्य
एक दिन नहीं कि तो क्या हुआ ????
हम खुद नहीं समझ पाते इस एक दिन की अहमियत ! और रिश्तों में खटास आनी शुरू हो जाती है !
लेखिका- जयति जैन, रानीपुर झान्सी
गलतफेह्मियों के सिलसिले इतने दिलचिप्स है कि
हर ईट सोचती है दिवार बस मुझसे टिकी है !'
जिसने भी लिखा बहुत ही खूब लिखा है !
ये शायरी जिन्द्गी की सच्चाइ को बयां करती है, कोई भी रिश्ता लेलो- जहा इंसान के अंदर आ जाये कि ये रिश्ता बस मुझसे चल रहा है! वो रिश्ता फ़िर एक तरफा होकर रह जाता है, जहा आपके दिल में है कि ये रिश्ता में सम्भाल रहा हुं, सामने वाले के पास तो समय ही नहीं है!
और
वो दूसरा सामने वाला इसमे है कि फ्री होकर बात करेगे ! ये जानते हुए कि कुछ रिश्तों को रोज़ समय देना जरुरी है !
हमारी जिन्द्गी में एक ऐसा रिश्ता होता ही है, जिसके बिना हम जीना नहीं चाहते, जो हमारे दिल के बेहद करीब होता है ! फिर भी हमारी वय्स्तताये उसे हमसे दूर करने लगती हैं !
जहा आपने ये सोचा कि जब टाइम मिलेगा तब बात कर लेगे, रोज़ ही तो बात करते है एक दिन नहीं कि तो क्या हुआ ????
बस एक यही वाक्य
एक दिन नहीं कि तो क्या हुआ ????
हम खुद नहीं समझ पाते इस एक दिन की अहमियत ! और रिश्तों में खटास आनी शुरू हो जाती है !
kyo jayti yah riste wala comment pasand aaya i like this very nice lekh about ristay
ReplyDeleteThank u
Deletematlab galat fehmi ke silsilay
ReplyDeleteThank u
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