घर जमाई, बेटा बनकर घर सम्भाल ले...

घर जमाई, बेटा बनकर घर सम्भाल ले...
लेखिका- जयति जैन...

पहले दहेज फ़िर अब भ्रुण हत्या...
औरतों के मरण के लिये नयी नयी मुसीबतें हैं ! हर वर्ग के लोग भ्रुण हत्या के पक्ष में नजर आते हैं, आज कल एक बच्चे का फैशन है,
एक बच्चा वो भी लड़की ये किसी को रास नहीं आता, इसीलिये लड़के को ही महत्व देते हैं, वंश जो बडाना है !
लड़की तो शादी करके चली जायेगी दूसरे के घर, लेकिन लड़का तो शादी करके यहीं रहेगा!
फ़िर चाहे वो लड़का दुश्मनी के साथ सारी जिन्द्गी तुम्हारी जान खाता रहे, तुम्हे बे-घर कर दे, तुम्हें बोझ समझे !

तब भी, क्या ऐसा नहीं हो सकता कि कोई लड़का घर-जमाइ बनकर घर सम्भाल ले, लड़की ले पिता का व्यवसाय सम्भाल ले ! वेसे भी लड़के नौकरी- काम के सिलसिले में दूसरे शहर जाते ही हैं !!!
दूसरे शहर में बसकर नये घर की तलाश, नये लोगों के बीच पहचान बनाने की मेहनत क्युं करना, जब बना बनाया घर और अपने मिल रहे हैं और बेटा बनकर किसी के बुडापे का सहारा बन्ने का मौका मिल रहा है !
लोग तो फ़ालतू बोलते ही हैं, आज कल की भागदोड भरी जिन्द्गी में फ़ालतू लोगों के पास ही फ़ालतू का टाइम होता है !
आगे बडिये, अपनों का सहारा बनिये !
जयति जैन
http://hindilekhjayati.blogspot.in

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