वास्तु शास्त्र, दोष एवं उपाय- भाग 2

अभी तक भाग-1 मे आपने पढा कि वास्तु शास्त्र क्या है ? क्या है वास्तु दोष ? और उसके उपाय...
अब आप इस भाग -2 में जानेगे कि क्युं आपको परेशानी का सामना करना पडता है, घर की कलह और अशांति...
कई बार ऐसा भी होता है कि आप तमाम पूजा-पाठ करते हैं, लेकिन अच्छे फल नहीं मिलते, ऐसे में आप अपने घर के वास्तुशास्त्र पर ध्यान दें।वास्तु एक प्राचीन विज्ञान है, जो हमें बताता है कि घर, ऑफिस, व्यवसाय इत्यादि में कौन सी चीज होनी चाहिए और कौन सी नहीं. साथ हीं हमें यह भी बतलाता है कि किस चीज के लिए कौन सी दिशा सही होगी ! तो आइए जानते हैं कि वास्तुशास्त्र के अनुसार घर के लिए क्या-क्या सही है और क्या-क्या गलत.
घर के लिए कुछ महत्वपूर्ण वास्तु टिप्स :
1. मकान का मुख्य द्वार दक्षिण मुखी नहीं होना चाहिए। इसके लिए आप चुंबकीय कंपास लेकर जाएं। यदि आपके पास अन्य विकल्प नहीं हैं, तो द्वार के ठीक सामने बड़ा सा दर्पण लगाएं, ताकि नकारात्मक ऊर्जा द्वार से ही वापस लौट जाएं।
2. घर के प्रवेश द्वार पर स्वस्तिक या ऊँ की आकृति लगाएं। इससे परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
3. घर की पूर्वोत्तर दिशा में पानी का कलश रखें। इससे घर में समृद्धि आती है।
4. रसोई घर में पूजा की अल्मारी या मंदिर नहीं रखना चाहिए।
5. सीढ़ी के नीचे शौचालय, रसोई, स्नानघर, पूजा घर इत्यादि नहीं होने चाहिए. सीढ़ी के नीचे कबाड़ भी नहीं रखना चाहिए !
6. सीढ़ी के पायदानों की संख्या विषम 21, 23, 25 इत्यादि होनी चाहिए.
7. बेडरूम में भगवान के कैलेंडर या तस्वीरें या फिर धार्मिक आस्था से जुड़ी वस्तुएं नहीं रखनी चाहिए। बेडरूम की दीवारों पर पोस्टर या तस्वीरें नहीं लगाएं तो अच्छा है। हां अगर आपका बहुत मन है, तो प्राकृतिक सौंदर्य दर्शाने वाली तस्वीर लगाएं। इससे मन को शांति मिलती है, पति-पत्नी में झगड़े नहीं होते।
8. घर में घुसते ही शौचालय नहीं होना चाहिए।
9. घर के खिड़की दरवाजे इस प्रकार होनी चाहिए, कि सूर्य का प्रकाश ज्यादा से ज्यादा समय के लिए घर के अंदर आए। इससे घर की बीमारियां दूर भागती हैं।
10. घर में कबाड़ नहीं रखना चाहिए !
11. महाभारत का कोई भी चित्र घर में नहीं रखना चाहिए. क्योंकि इससे कलह कभी खत्म नहीं होता है
12. पूजा घर में प्रतिमा स्थापित नहीं करनी चाहिए क्योंकि घर में प्राण प्रतिष्ठित मूर्ति का ध्यान उस तरह से नहीं रखा जा सकता है जैसा कि रखा जाना चाहिए. अतः छोटी मूर्तियाँ और चित्र हीं पूजा घर में लगाने चाहिए.
13. फटे हुए चित्र, या खंडित मूर्ति पूजा घर में बिल्कुल नहीं होनी चाहिए.
14. रसोईघर में पूजा का स्थान नहीं होना चाहिए।
15. घर में आंगन नहीं है तो घर अधूरा है। घर के आगे और घर के पीछे छोटा ही सही, पर आंगन होना चाहिए। प्राचीन हिन्दू घरों में तो बड़े-बड़े आंगन बनते थे। शहरीकरण के चलते आंगन अब नहीं रहे। आंगन नहीं है तो समझो आपके बच्चे का बचपन भी नहीं है।
आंगन में तुलसी, अनार, जामफल, कड़ी पत्ते का पौधा, नीम, आंवला आदि के अलावा सकारात्मक ऊर्जा पैदा करने वाले फूलदार पौधे लगाएं। तुलसी हवा को शुद्ध कर कैंसर जैसे रोगों को मिटाती है। अनार खून बढ़ाने और वातावरण को सकारात्मक करने का कार्य करता है। कड़ी पत्ता खाते रहने से जहां आंखों की रोशनी कायम रहती है वहीं बाल काले और घने बने रहते हैं, दूसरी ओर आंवला शरीर को वक्त के पहले बूढ़ा नहीं होने देता। यदि नीम लगा है तो जीवन में किसी भी प्रकार का रोग और शोक नहीं होगा।
16. नल से पानी का टपकते रहना वास्तुशास्त्र में आर्थिक नुकसान का बड़ा कारण माना गया है।
17. जिनके घर में जल की निकासी दक्षिण अथवा पश्चिम दिशा में होती है उन्हें आर्थिक समस्याओं के साथ अन्य कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
18. शयन कक्ष के दरवाजे के सामने पलंग न लगाएं।
19. वास्तुशास्त्र के अनुसार शयन कक्ष का स्थान भाग्य और संपत्ति का क्षेत्र होता है। इस दिशा में दीवार में दरारें हों तो उसकी मरम्मत करवा दें।
20. घर के ऊपर केसरिया ध्वज लगाकर रखें।

लेखिका= जयति जैन, रानीपुर झांसी !

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