ऐसे घर में लड़की पैदा नहीं होनी चाहिये !!!

सुंदर कद-काठी से सजी नूतन, बेहद सम्बेदनशील लड़की है! जिसकी अपनी पहचान है, जो उसने अकेले अपने दम पे बनाई है और जो भी उससे प्यार से बात करता है, उसे अपना समझ लेती है !
लेकिन
आज तक कभी अपने खुद के परिवार को अपना नहीं बना पायी... जानते हैं क्युं?
क्युकिं कोई उस घर में उससे अच्छे से बात नहीं करता, खासतौर पर उसके  पिता और भाई,
सबसे बडी वज्ह है, उसका लड़की होना, पिता लड़का चाहते थे और लड़की पैदा हो ग्यी ! जन्म से ही पिता के मुंह से कभी प्यार के बोल नहीं निकले उसके लिये, अब भाई पर असर कहा जायेगा ! उसके अंदर लड़का होने का गुरूर, वो जानता भी है, जो बोलेगा वो उसके घरवाले करेगे,
जेसा पिता वेसा बेटा
हर चीज में खुद को होशियार और दूसरे को बे-अकल समझते हैं ! लेकिन ये भूल जाते हैं कि दूसरे भी उन्हें ऐसे ही समझते होगे! जिस किसी के सामने दूसरे की बेज्जयति करना, चिल्लाना दोनों की पसंदिता चीजे हैं !
जिसका शिकार हमेशा नूतन बनती है, क्युं?
क्युकिं बाप-बेटा कभी दूसरे की तारीफ़ ना कर सकते है, ना सुन सकते हैं !
बचपन से नूतन को अपनी बात रखने के लिये और खुद को सही साबित करने के लिये खासी मश्क्कत करनी पड़ती है,
क्युंकि कोई उसको सुनना ही नहीं चाहता !
और इलज़ाम आता है वही की तमीज़ नहीं है, बेअकल है, हर बात में बोलने की आदत है !
अरे भाई,
कभी बोलने तो दो खुल के उसे, कभी बोलो तो उससे जाओ जो मरज़ी करे वेसा करो !
सही भी है, जिस घर में लड़कियों को पैदा कभी नहीं होना चाहिये, ना जाने क्युं उस घर के दरवाज़े पे लड़किया दस्तक दे जाती हैं !

जब सोचती हुं तो बेहद दर्द होता है, नूतन की तरह ना जाने कितनी लड़की होगी इस देश में, जो ना तो जी पा रही हैं, ना ही मर सकती हैं!
मरेगी तो कहेगे कि ऐसे ही होगी गिरी हुई, कोई लफ़डा होगा, तभी मर ग्यी, लेकिन ये पता करने की कोशिश भी नहीं करेगे कि किस हद तक परेशान हो गयी थी बेचारी !!!
कहते हैं कि एक बेटी यही चाहती है कि
उसका जीवनसाथी उसके पिता की तरह हो, क्युकिं लड़कियों के लिये उसका पिता ही सुपर हीरो होता है उसके लिये!
लेकिन नूतन कभी चाहेगी क्या कि उसके पिता या भाई जेसा कोई साथी मिले उसे ?????
लेखिका- जयति जैन, रानीपुर झांसी उ.प्र.
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