अपनो को भिगाये, आओ बैर मिटाये

आओ बैर मिटाये
थोडा गुलाल लगाये
में रंग दू तुझे लाल
तू रंग दे मुझे गुलाल
लाल पीला हरा
गुलाबी जो चाहो
बस प्यार से लगाये
आओ बैर मिटाये
अपनो को भिगाये
नाचे ढोल बजाये
बस खुशियां लुटाये !
जयति' रंग दो गुलाल
गले मिलो लाओ बहार !
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त्यौहार है रंगों का 
दुनिया है रंग बिरंगी
रंगलो प्यार के रंगों से 
फ़िर दुश्मन हो या हो संगी!

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लेखिका- जयति जैन, रानीपुर झांसी उ.प्र.


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