नवविवाहित के मन की भावनाये- खूबसूरत कविता

##नवविवाहित##

> फलक से चांदनी उतर रही है,
> मेरे कमरे की हालत सुधारने
लगी है,
> कब जुदा थे अलमारी के हालात ,
> मेरे हालात से,
> चार रोज क्या पहनता ,
> नए कपडे भी हो जाते
> खराब से ,
> दीवारें हैं की रंगों से सराबोर हुई
हैं,
> चादरें ,रजाईयां, बैडशीट, तकिये,
> महक -ए-मुहब्बत में बहकने लगीं हैं,
> वो कोना जो अब तक घर था
> मकड़ियों का ,
> एक गुलदस्ता लाके तुमनें रख दिया,
> रोज छू देती हो ,
> साज -ए-महक,
> वो फूल तुमसे कम खूबसूरत हैं,
> अब मैं रात थका नहीं आता,
> पाँव उछालते हैं,
> पायल सुनाई देती है,
> सुनो........
> तुम्हें जी भरके देख लूँ,
> दस बजे काम पर भी तो जाना है।......
सत्यम

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