दर्द-ए-ग़म :- शायरी

दर्द-ए-ग़म

लेखिका- श्रीमति अलका जैन, रानीपुर झांसी

1, गर रोने से दर्दो ग़म का
मिटना मुमकिन होता!
तो दुखियों के अश्कों में
जमाना बह गया होता !

2, न खुशी की सराय है कोई
न ही सुकून-ए-डेरा है!
दिल की शाख पे बस
दर्दों ग़म का बसेरा है !

3, फकत इक दर्द से तुम
इतने मायूस हो गये,
बेहिसाब दर्द सहकर भी
देखो मुस्कुरा रहे है हम !
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मेरी मां की रचना...
हिंदीकुंज पर
http://www.hindikunj.com/2017/01/incalculable-pain.html?m=1
साहित्यपीडिया पर
http://sahityapedia.com/%e0%a4%a6%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%a6-%e0%a4%8f-%e0%a5%9a%e0%a4%ae-69559/
चहकते पंछी पर
https://jaytichahkatepanchhi.blogspot.in/p/httpwww.html?m=0

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