महावीर स्वामी - सत्य, सादगी, अहिंसा और पवित्रता के प्रतीक

जय जिनेंद्र

तीर्थकंर महावीर स्वामी 

महावीर जयन्ती केवल एक पर्व या उत्सव ही नहीं बल्कि सत्य, सादगी, अहिंसा और पवित्रता का प्रतीक (Symbol) है । इस पर्व से हमें हर वर्ष यह प्रेरणा (Inspiration) देने का प्रयत्न किया जाता है कि हमें अपने जीवन में झूठ, कपट, लोभ-लालच और दिखावे से दूर रखना चाहिए तथा सच्चा, शुद्ध और परोपकारी जीवन जीना चाहिए त भी अपना और इस संसार का कल्याण संभव है ।

महावीर जयन्ती का पर्व बड़ी धूमधाम और उल्लास से मनाया जाता है । पर्व के कई दिनों पहले से ही पूजा-पाठ की तैयारियाँ शुरू हो जाती हैं । श्वेताम्बर और दिगम्बर दोनों प्रकार के जैन मंदिरों को खूब सजाया जाता है किन्तु सादगी (Simplicity) और पवित्रता (Purity) का ध्यान रखा जाता है । जैन धर्म के नाम से चलने वाले स्कूलों में भी जैन मंदिरों के समान ही वातावरण (Environment) बन जाता है । पूजा-पाठ तथा तरह-तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम (Culture programmes) प्रस्तुत किये जाते हैं । स्कूल के विद्यार्थी तथा स्त्री-पुरुष भक्ति-भाव से महावीर स्वामी की जय-जयकार करते हुए कहीं-कहीं जुलूस (Procession) भी निकालते हैं । शोभा-यात्राओं में जैन साधु-संत सम्मिलित होते हैं । पूरे देश में इस दिन सार्वजनिक छुट्‌टी (Public Holiday) रहती है ।


पंचशील सिद्धान्त के प्रर्वतक एवं जैन धर्म के चौबिसवें तीर्थकंर महावीर स्वामी अहिंसा के मूर्तिमान प्रतीक थे। जिस युग में हिंसा, पशुबलि, जाति-पाँति के भेदभाव का बोलबाला था उसी युग में भगवान महावीर ने जन्म लिया। उन्होंने दुनिया को सत्य, अहिंसा जैसे खास उपदेशों के माध्यम से सही राह दिखाने की ‍कोशिश की। अपने अनेक प्रवचनों से मनुष्यों का सही मार्गदर्शन किया। नवीन शोध के अनुसार जैन धर्म की स्थापना वैदिक काल में हुई थी। जैन धर्म के वास्तविक संस्थापक ऋषभदेव थे। महावीर स्वामी ने जैन धर्म में अपेक्षित सुधार करके इसका व्यापक स्तर पर प्रचार किया।
महावीर स्वामी का जन्म वैशाली (बीहार) के निकट कुण्डग्राम में क्षत्रिय परिवार में हुआ था। बचपन का नाम वर्धमान था। पिता सिद्धार्थ, जो कुण्डग्राम के राजा थे एवं माता त्रिशला का संबन्ध भी राजघराने से था। राजपरिवार में जन्म होने के कारण महावीर स्वामी का प्रारम्भिक जीवन सुख-सुविधाओं से परिपूर्ण बीता। पिता की मृत्यु के पश्चात 30 वर्ष की आयु में इन्होने सन्यास ग्रहण कर लिया और कठोर तप में लीन हो गये। ऋजुपालिका नदि के तट पर सालवृक्ष के नीचे उन्हे ‘कैवल्य’ ज्ञान (सर्वोच्च ज्ञान) की प्राप्ति हुई जिसके कारण उन्हे ‘केवलिन’ पुकारा गया। इन्द्रियों को वश में करने के कारण ‘जिन’ कहलाये एवं पराक्रम के कारण ‘महावीर’ के नाम से विख्यात हुए। 
महावीर स्वामी ने समाज में प्रचलित वर्ण व्यवस्था का विरोध किया था। भगवान महावीर का आत्म धर्म जगत की प्रत्येक आत्मा के लिए समान था। महावीर का ‘जीयो और जीने दो’ का सिद्धांत जनकल्याण की भावना को परिलाक्षित करता है। भगवान महावीर स्वामी ने दुनिया को जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत बताए, जो है अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अचौर्य (अस्तेय) और ब्रह्मचर्य। सभी जैन मुनि, आर्यिका, श्रावक, श्राविका को इन पंचशील गुणों का पालन करना अनिवार्य है। महावीर ने अपने उपदेशों और प्रवचनों के माध्यम से दुनिया को सही राह दिखाई और मार्गदर्शन किया। उनके इन्हीं आदर्शों को दुनिया भर के विद्वानाें ने भी माना है।

भगवान् महावीर के अनमोल वचन

Quote 1: The greatest mistake of a soul is non-recognition of its real self and can only be corrected by recognizing itself.
In Hindi: किसी आत्मा की सबसे बड़ी गलती अपने असल रूप को ना पहचानना है , और यह केवल आत्म ज्ञान प्राप्त कर के ठीक की जा सकती है .
Quote 2: Silence and Self-control is non-violence.
In Hindi: शांति और आत्म-नियंत्रण अहिंसा है  .
Quote 3: Every soul is independent. None depends on another.
In Hindi: प्रत्येक जीव स्वतंत्र है . कोई किसी और पर निर्भर नहीं करता .
Quote 4: There is no separate existence of God. Everybody can attain God-hood by making supreme efforts in the right direction.
In Hindi: भगवान् का अलग से कोई अस्तित्व नहीं है . हर कोई सही दिशा में सर्वोच्च प्रयास कर के देवत्त्व प्राप्त कर सकता है .
Quote 5: Every soul is in itself absolutely omniscient and blissful. The bliss does not come from outside.
In Hindi: प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है . आनंद बाहर से नहीं आता .
Quote 6: Have compassion towards all living beings. Hatred leads destruction.
In Hindi: हर एक जीवित प्राणी के प्रति दया रखो . घृणा से विनाश होता है .
Quote 7: Respect for all living beings is non‑violence.
In Hindi: सभी जीवित प्राणियों के प्रति सम्मान अहिंसा है .
Quote 8: All human beings are miserable due to their own faults, and they themselves can be happy by correcting these faults.
In Hindi: सभी मनुष्य अपने स्वयं के दोष की वजह से दुखी होते हैं , और वे खुद अपनी गलती सुधार कर प्रसन्न हो सकते हैं .
Quote 9: Non-violence is the highest religion
In Hindi: अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है 
Quote 10: एक व्यक्ति जलते हुए जंगल के मध्य में एक ऊँचे वृक्ष पर बैठा है . वह सभी जीवित प्राणियों को मरते हुए देखता है . लेकिन वह यह नहीं समझता की जल्द ही उसका भी यही हस्र होने वाला है . वह आदमी मूर्ख है .
Quote 11: Fight with yourself, why fight with external foes? He, who conquers himself through himself, will obtain happiness.
In Hindi: स्वयं से लड़ो , बाहरी दुश्मन से क्या लड़ना ? वह जो स्वयम पर विजय कर लेगा उसे आनंद की प्राप्ति होगी .
Quote 12: There is no enemy out of your soul.The real enemies live inside yourself, they are anger, proud, greed, attachmentes and hate.
In Hindi: आपकी आत्मा से परे कोई भी शत्रु नहीं है . असली शत्रु आपके भीतर रहते हैं , वो शत्रु हैं क्रोध , घमंड , लालच ,आसक्ति और नफरत .
Quote 13: It is better to win over self than to win over a million enemies.
In Hindi: खुद पर विजय प्राप्त करना लाखों शत्रुओं पर विजय पाने से बेहतर है .
Quote 14: The soul comes alone and goes alone, no one companies it and no one becomes its mate.
In Hindi: आत्मा अकेले आती है अकेले चली जाती है , न कोई उसका साथ देता है न कोई उसका मित्र बनता है .
Quote 15: Can you hold a red-hot iron rod in your hand merely because some one wants you to do so? Then, will it be right on your part to ask others to do the same thing just to satisfy your desires? If you cannot tolerate infliction of pain on your body or mind by others’ words and actions, what right have you to do the same to others through your words and deeds?
In Hindi: क्या तुम लोहे की धधकती छड़ सिर्फ इसलिए अपने हाथ में पकड़ सकते हो क्योंकि कोई तुम्हे ऐसा करना चाहता है ? तब , क्या तुम्हारे लिए ये सही होगा कि तुम सिर्फ अपनी इच्छा पूरी करने के लिए दूसरों से ऐसा करने को कहो . यदि तुम अपने शरीर या दिमाग पर दूसरों के शब्दों या कृत्यों द्वारा  चोट बर्दाश्त नहीं कर सकते हो तो तुम्हे दूसरों के साथ अपनों शब्दों  या कृत्यों द्वारा ऐसा करने का क्या अधिकार है ?

जयति जैन, रानीपुर झांसी उ.प्र.

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